शिवनाथ नदी के सुघ्घर धार ले घेराय बीचो-बीच लगभग आधा कि.मी. के दायरा म फइले मदकू द्वीप “श्री हरिहर क्षेत्र केदार मदकू द्वीप” के नाम से प्रसिद्ध हवय। पुरातात्वीय अवशेष अउ रमणीक पर्यटल स्थल ‘मदकू द्वीप’ के स्तर जमाव ले प्रागैतिहासिक कालीन विविध पाषाण उपकरण के श्रृंखला मिलथे। इंहाँ 11 वीं सदी के स्थापत्य कला के अवशेष अउ प्रतिमा मन विद्यमान हवय। पारिस्थितिकी जैव विविधता पुरातात्वीय अवशेष अउ पर्यटन के संभावना ले भरपूर मदकू द्वीप ह जल दुर्ग सरीक आभासित होथे। अपन प्राकृतिक सौंदर्य अउ धार्मिक मान्यता के कारण ‘मदकू द्वीप’ पर्यटक मन बर आकर्षक के केन्द्र बने हवय।
शिवनाथ नदी के धार ले घेराय सुघ्घर द्वीप पारंपरिक रूप ले माण्डूक्य ऋषि के तपोभूमि होये के सेती “मदकू द्वीप के नाम से विख्यात अपन नाम ल सार्थक करथे। “मदकू द्वीप” ल आदिकाल ले पवित्र स्थल माने जात रहे हवय काबर की इंहा आके शिवनाथ नदी के धारा ईशान कोण में बहे लगे, ये दिशा ह वास्तु शास्त्र के नियम ले पबरित दिशा माने जाथे। शुरू म इंहा प्राचीन प्रतिमा जइसे -नंदी, राजपुरूष, योद्धा, आमलक अउ कलश आदि मिले रहिस हे वोकरे आधार म ये द्वीप म अनेक प्राचीन मंदिर के दबे होये के संकेत मिलत रहिस। इंहा के पुरातात्विक धरोहर ल उजागर करे खातिर पुरातत्व विभाग छ.ग.शासन ह सन् 2011 म खनन सुरू करीस।
खनन म बलुआ पथरा ले बने कुल 19 मंदिर के कतार अउ कई ठन पथरा के मूर्ति मिलिस जेकर तिथि लगभग 11 वीं ले 14 वीं सताब्दी आंके गईस जेन हा कल्चुुरी शासक मन के शासनकाल आय। एक मंदिर उमामहेश्वर अउ एक मंदिर ह गरूड म बईठे लक्ष्मीनारायण के आय। बीच के मंदिर ह सब ले बडका हवय जेकर मुह पश्चिम दिशा डहर हवय। बडका मंदिर के दूनो डहर 9-9 मंदिर के कतार हवय जेन आकार म छोटे होवत गे हवय इंकर मुंह पूरब दिशा डर हवय। अधिकांश मंदिर के गर्भगृह म योनी पीठ अउ स्मार्तलिंग स्थापित हवय। इंहा ले मिले मूर्ति म वेणुवादक कृष्ण, अम्बिका, नृत्य गणेश, महिषासुर मर्दिनी, उपासनारत राजपुरूष, योद्धा आदि उल्लेखनीय हावय। ये जघा के सबले विशिष्ट विशेषता 12 स्मार्त लिंग के मिलना आय जेकर ले ये सिद्ध होथे कि ये जा है स्मार्त पूजा के महत्वपूर्ण केन्द्र होये के संगे-संग धार्मिक सद्दिष्णुता के जीवंत उदाहरण रहिस। मंदिर मन बलुआ पथरा के बने स्थापत्य कला के अद्भुत उदाहरण हे। मंदिर के आघू म राजपुरूष मन के उपासक मुद्रा में मूर्ति हवय जेकर ले अइसन महसूस होथे कि रतनुपर के कलचुरि शासक के वंशज मन इंहा के मंदिर ल बनवाय हवय। इहां राजा प्रताप मल्लदेव (ई.सन1198 से 1218 ) के तांबा के एक ठन सिक्का घलो मिले हवय । खनन ले जानकारी मिलिस कि जम्मो पुराना मंदिर ह नदिया म आये बाढ के कारण ध्वस्त हो के दब गे रहिस।
नदिया मा बारहो महीना पानी रहिथे। छेरछेरा पुन्नी के दिन इंहा हिंदू मन के बडा भारी मेला भराथे जेमा सम्पूर्ण छ.ग.ले पर्यटक मन आथे। द्वीप के भीतर म अलग-अलग समाज के मन अपन-अपन इष्ट देव के मंदिर बनवाये हवय जेकर पूजा अर्चना छेरछेरा पुन्नी म करथे। वइसने फरवरी के महीना मा मसीही समुदाय के विशाल मेला इंहा भराथे जेमा देश के दूसर जघा ले मसीही समुदाय के श्रद्घालु मन आथे। मसीही समुदाय के मेला 100 बछर ले ज्यादा होगे हवय, अब द्वीप के दूनों डाहर शिवनाथ नदी म एनीकट के निर्माण होगे हवय जेकर ले पर्यटक मन वाहन सहित आसानी ले द्वीप के भीतरी म आ-जा सकथे। आधा कि.मी.म फइले द्वीप म चारो डहर रूख-राई उगे हे जेकर ले हरियाली अउ छाव के कमी नई हे। नदिया के पार म खड्डा होके द्वीप ल निहारना अद्भुत अनुभव कराथे। बेरा-बेरा म स्कूल और कालेज के पढईया लइका मन शैक्षणिक भ्रमण खातिर छ.ग.के विभिन्न हिस्सा ले आथे अउ ‘मदकू द्वीप’ के इतिहास ले परिचित होथे ।
पहुंचे के रद्दा :- छत्तीसगढ के राजधानी रायपुर अउ न्यायधानी बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग म स्थित बैतलपुर ले 4 कि.मी. दक्षिण-पूर्व दिशा, रायपुर-बिलासपुर रेल मार्ग म स्थित भाटापारा रेलवे स्टेशन ले 8 कि.मी. उत्तर-पूर्व दिशा म मदकू द्वीप स्थित हवय। ‘मदकू द्वीप’ में बारहों महीना बिना तकलीफ के बाईक से घलो पहुंचे जा सकथे। अब आवश्यकता ये बात के हवय के छत्तीसगढ सरकार ये द्वीप ल पर्यटन स्थल के रूप म पूर्ण रूप ले विकसित करय ताकि “मदकू द्वीप” छ.ग. के पर्यटन मानचित्र के संगे-संग राष्ट्रीय मानचित्र म अपन जघा सुनिश्चित कर सकय।
–अजय ‘अमृतांशु’